दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक ताजा आदेश में कहा कि व्हाट्सएप्प और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर होने वाली चैटिंग के दौरान ग्रुप के किसी सदस्य द्वारा पोस्ट की जाने वाली किसी आपत्तिजनक सामग्री के लिए उस ग्रुप के एडमिन को दोषी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जब ऐसे ग्रुप्स में किसी भी प्रकार की सामग्री पोस्ट करने से पहले एडमिन की रजामंदी जरुरी नहीं होती है, तो किस प्रकार एडमिन को दोषी माना जाए। दिल्ली हाईकोर्ट के एक जज की बेंच ने अवमानना के एक मामले को ख़ारिज करते हुए ऐसा कहा। अदालत ने कहा कि एडमिन, ग्रुप के सदस्यों से सिर्फ आग्रह कर सकता है कि वे ऐसी सामग्री न पोस्ट करें।
इस फैसले से ऐसे तमाम लोगों को राहत मिल सकती है, जिन्हें महज एडमिन होने की वजह से, किसी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर, किसी चैट ग्रुप में किसी सदस्य द्वारा की गई आपत्तिजनक पोस्ट की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। देश भर में व्हाट्सएप्प को लेकर ऐसे कई मामले सामने आए, जहाँ किसी चैट ग्रुप के किसी सदस्य के आपत्तिजनक पोस्ट के लिए एडमिन को भी जिम्मेदार मानते हुए उसके खिलाफ भी पुलिस में शिकायत दर्ज हुई और कुछ मामलों में गिरफ़्तारी भी हुई। बीते जून महीने में इंदौर में कथित तौर पर व्हाट्सएप्प ग्रुप के जरिए शहर का माहौल खराब करने की जानकारी मिलने पर पुलिस ने ग्रुप एडमिन पर सख्ती शुरू कर दी और इसी के चलते तीन ग्रुप एडमिन को पुलिस की ओर से नोटिस भेज दिया गया। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बीते साल एक व्हाट्सएप्प ग्रुप में एक व्यक्ति ने महात्मा गांधी को लेकर एक आपत्तिजनक पोस्ट किया। इसी ग्रुप के एक सदस्य की शिकायत पर उस आरोपी को तो गिरफ्तार किया ही, बल्कि एडमिन को भी गिरफ्तार कर लिया गया। अक्टूबर महीने में आगरा में एक व्हाट्सएप्प ग्रुप के एडमिन को भी इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि उस ग्रुप के एक सदस्य ने प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट कर दिया था। इसके बाद इस बात को लेकर सवाल भी खड़े हुए थे कि किसी मेंबर की पोस्ट के लिए एडमिन किस प्रकार जिम्मेदार हो सकता है। हालाँकि ये भी कहा गया कि एडमिन किसी सदस्य की किसी आपत्तिजनक पोस्ट के लिए दोषी नहीं हो सकता, लेकिन ये उस ग्रुप के एडमिन व अन्य सदस्यों का कर्तव्य बनता था कि वे कानून-व्यवस्था बिगाड़ने वाले या किसी आपत्तिजनक पोस्ट करने वाले किसी सदस्य के पोस्ट की शिकायत करे और एडमिन वैसे मेंबर को तुरंत उस ग्रुप से हटाए।
व्हाट्सएप्प को हमारे देश में करोड़ों लोग प्रयोग में लाते हैं और आज यह सोशल मीडिया का यह सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म बन चुका है। एक व्यक्ति अपने मोबाइल फोन के जरिए कई व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ा होता है या फिर उसका एडमिन होता है। इसके बावजूद हमारे देश में सोशल मीडिया या सोशल मैसेजिंग ऐप्स के लिए अलग से कोई कानून नहीं है। इन मामलों में आईटी एक्ट के तहत ही कार्रवाई की जाती है। जरूरत पड़ने पर आईपीसी की धाराओं में भी केस दर्ज किया जाता है।